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छोटे कारोबारी उच्च कार्य प्रदर्शन का महौल बनाते हुए अपने कारोबार में शामिल नाकाबिल सगे-संबंधियों से कैसे निपटें

भारत में हमारे अनुमान से 65 मिलियन MSME में 60 प्रतिशत से अधिक में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से घर-पारिवार का कोई न कोई सदस्य कार्यरत होता है और इनमें 1/3 से अधिक मामलों में कारोबार के मालिक उनके प्रदर्शन से दुखी रहते हैं. जाहिर है यह MSME के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है.

समीर साठे

उच्च कार्य प्रदर्शन का परिवेश तैयार करना उच्चतम स्तर से शुरू होता है और वहीं चरम पर पहुंचता है. पूरे संगठन पर हावी ‘परोपकार’ में कारोबार के सामने कई चुनौतियां होती हैं. इनमें एक चुभने वाली और जटिल चुनौती परिवार के उस सदस्य से निपटना है जो कार्य प्रदर्शन नहीं करता है. कारोबार के मालिक के लिए इस समस्या से छुटकारा पाना आसान नहीं होता है.

भारत में हमारे अनुमान से 65 मिलियन MSME में 60 प्रतिशत से अधिक में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से घर-पारिवार का कोई न कोई सदस्य कार्यरत होता है और इनमें 1/3 से अधिक मामलों में कारोबार के मालिक उनके प्रदर्शन से दुखी रहते हैं. जाहिर है यह MSME के लिए एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. खास कर 1 मिलियन अमेरिकी डालर की आमदनी सीमा पार करने की जद्दोजहद में लगे एसएमई के लिए यह चुनौती इस लिहाज से भी बड़ी हो जाती है कि प्रायः प्रदर्शन नहीं करने वाले इन सदस्यों ने ही शुरू में कारोबार खड़ा करने में मालिक की मदद की थी!

प्रदर्शन नहीं करने वाले सदस्य छोटे कारोबार को अधिक चोट पहुंचा सकते हैं क्योंकि ऐसे ज्यादातर मामलों में कारोबार में बने रहने का संघर्ष होता है जबकि बड़े व्यवसायों के लिए यह महज अवसर खोने, परिवारों के बीच मुनाफा कम होने या कुछ मामलों में प्रतिष्ठा धूमिल होने की बात है. और यदि प्रदर्शन नहीं करने वाले परिवार के लोग हों तो मालिक के लिए उनसे छुटकारा पाना भी मुमकिन नहीं होता है. इसलिए काम का बेहतर माहौल बनाने के प्रयास में जब परिवार के लोगों का ही कार्य प्रदर्शन दुखी करे तो कारोबार के मालिक यहां दिए गए कुछ दिशानिर्देशों और नियमों पर चलते हुए इस मसले का हल निकाल सकते हैं.

कारोबार में रिश्तेदारी नहीं निभाएं
कारोबार में रिश्तेदारी नहीं निभाना स्वस्थ परंपरा रही है. उद्यमी ’सवालिया निशान’ वाले अपनों के बजाय किसी ‘अनजान काबिल इंसान’ को काम दें तो सब का भला होगा.

‘अनजान काबिल इंसान’ के लिए काम पाना कठिन होता है क्योंकि वे ‘अजनबी’ हैं लेकिन कारोबारी के लिए यह सोच समस्या बन जाती है. पारिवारिक कारोबार के मालिक का अपनों को लेकर पूर्वाग्रह होता है क्योंकि वे अपने इर्दगिर्द जान-पहचान के लोग और नाम चाहते हैं जबकि उन्हें इस बात का इल्म नहीं होता कि उनके अपनों की योग्यता पर सवालिया निशान लगे हैं. उनकी योग्यता आम तौर पर जांची-परखी या प्रमाणित नहीं होती है. उन्हें यह मुकाम हासिल करने के लिए अजनबी की तरह कठिन परीक्षा से नहीं गुजरना होता है. इस तरह लोगों के मन में पूर्वाग्रह की भावना घर कर जाती है जो उद्यम की सेहत के लिए हानिकारक है.‘सवालिया निशान’ वाले इन लोगों के ‘अपने’ होने के दावे से कारोबार के मालिक को लाचार हो जाते हैं. उनकी दक्षता का सबसे बड़ा प्रमाण मालिक के अपनों में शुमार होना है जबकि वास्तविकता यह है कि किसी अनाजन इंसान के मुकाबले उनकी दक्षता में कोई सामानता नहीं है. वे अधिक से अधिक समय मालिक के सामने बने रहेंगे ताकि किसी मदद के उन्हें ही बुलाया जाए. दरअसल यह उनके इरादे से बढ़ कर योग्यता की कमी है जिसका खामियाज़ा मालिक और कारोबार दोनों झेलते हंै.

कार्मिकों के चयन में मालिक का वस्तुनिष्ठ होना और भाई-भतीजावाद नहीं करना आवश्यक है. कुछ लोग केवल रिश्तेदारी नहीं बल्कि सक्षमता के बल पर कारोबार में अपनी भूमिका भी बखूबी निभाते हैं. लेकिन मेरा अनुभव यह रहा है कि ऐसे सफल रिश्तेदारों की तादाद कम है. इसलिए सुरक्षित रणनीति यही है कि काम की जिम्मेदारी निभाने वाले लोग ही चुनें भले ही वे अनजान क्यों न हो.

रिश्तेदारी और कारोबारी संबंध दोनों संभाले, पर व्यवसाय के खिलाफ नहीं
किसी को काम पर रखने से पहले कार्य प्रदर्शन नहीं करने वाले सदस्यों का क्या करेंगे यह निर्णय लें. सफल उद्यमी जान-पहचान के लोगों से भी बखूबी काम निकाल लेते हैं क्योंकि वे निम्नलिखित नियमों का पालन करते हैं:
>> किसी नियुक्ति के लिए प्रतिभा की पहचान करने से पहले उसके काम और उसकी भूमिका पर ध्यान दें.
>> पहले कम महत्वपूर्ण काम देकर सहज होने दें और फिर बड़ी जिम्मेदारी दें.
>> अपेक्षित परिणाम और काम स्पष्ट कर दें और इसे आने वाले समय पर छोड़ना या इस मामले में अस्पष्ट होना खास कर रिश्तेदारों के मामलों में हानिकारक होगा. अस्पष्टता की वजह से यदि कोई आम प्रतिभा दुविधा में पड़ती है तो रिश्तेदारों की दुविधा और बढ़ जाती है. और यदि प्रदर्शन असंतोषजनक हुआ तो मामला अधिक पेचीदा हो सकता है.
>> प्रदर्शन से यदि असंतुष्ट हैं तो सीधे स्पष्ट कर दें. इसके लिए समीक्षा के मानक नियमों का पालन करें. यदि सख़्ती की ज़रूरत हो तो बात में संकोच या नरमी बरतना उचित नहीं होगा.
>> कार्य प्रदर्शन नहीं करने वाले किसी इंसान से एक-सा व्यवहार करें और यह सुनिश्चित करें कि सभी से यही व्यवहार किया जाएगा सब को इसकी सूचना हो जाए.
>> रिश्तेदार कार्य प्रदर्शन नहीं करे तो उसे सेवा मुक्त कर देना ही लंबी अवधि में रिश्तेदारी बचाने के लिए सही निर्णय होगा. बेशक इस बारे में आम सोच रिश्तेदारी खोने का खतरा हो सकता है. कार्य प्रदर्शन नहीं करने वाले परिवार के सदस्य या किसी रिश्तेदार के साथ काम जारी रखने की स्थिति बदतर हो जाती है जब गुस्से की वजह से अंदर घुटन बढ़ती है जो कारोबार और रिश्तेदार दोनों के लिए खतरनाक है.

कुछ आसान नियम
व्यवसाय के सफल प्रमोटर जो रिश्तेदार भी हों उनके लिए बेहतर होगा कि कुछ सरल नियमों का पालन करें:
>> कर्मचारियों के काम के आधार पर उनकी पहचान करें. रिश्तेदारी से नहीं.
>> अपेक्षित कार्य प्रदर्शन के बारे में यथाशीघ्र बता दें, खास कर रिश्तेदारों के लिए यह जरूरी है.
>> रिश्तेदार का भी निष्पक्ष मूल्यांकन करें. अधिक कड़ाई या फिर नरमी नहीं बरतें.
>> रिश्तेदार के साथ कैसा व्यवहार करेंगे यह अन्य कर्मचारियों को दिखाएं और बताएं. इसमें अस्पष्ट या चुप रहना उचित नहीं.
>> कार्य प्रदर्शन में कमी के खिलाफ तेजी से कार्यवाही कर मिसाल कायम करें. इसमें विलंब का अर्थ इच्छा शक्ति की कमी, निष्क्रियता या अनिर्णय का संकेत है.

सारांश यह है कि छोटे व्यवसाय के मालिक बेहतर प्रदर्शन करेंगे यदि वे यह समझ जाएं कि क्या परिवार के किसी सदस्य को कारोबार में शामिल करना है; कब और कैसे करना है ताकि उच्च प्रदर्शन के परिवेश से कोई समझौता नहीं करना पड़े.

Source: News18 Hindi