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भविष्य में बनाना है बेहतर करियर, तो नए जमाने की स्किल सीखना जरूरी

अनुमान है कि 2022 तक भारत का लगभग 37 फीसदी कार्यबल उन रोजगारों में होगा, जहां उनके लिए बुनियादी तौर पर बदलते वक्त के अनुरूप आधुनिक कौशल सीखना जरूरी होगा.

भारत में रोजगार परिदृश्य पिछले कुछ दशकों में तेजी से बदला है. अनुमान यह है कि 2022 तक भारत का लगभग 37 फीसदी कार्यबल उन रोजगारों में होगा, जहां उनके लिए बुनियादी तौर पर बदलते वक्त के अनुरूप आधुनिक कौशल (स्किल्स) सीखना जरूरी होगा. इसलिए जल्द से जल्द यह समझना जरूरी होगा कि किन सेक्टरों में अधिक संख्या में जॉब सृजित होंगे, किन आधुनिक कौशलों की जरूरत होगी और कार्य क्षमता कैसे बढ़ाई जा सकती है.

देश की 50 फीसदी से अधिक आबादी 25 साल से कम उम्र की है. इसलिए कार्य कुशल, पूर्ण प्रशिक्षित कर्मचारियों के लिए Industry 4.0 की जरूरत को देखते हुए अर्ली स्किल ​डेवलपमेंट पर ध्यान केंद्रित किया गया है. कुछ समय पहले तक भारतीय कार्यबल के केवल 10 फीसदी लोगों को औपचारिक स्किल ट्रेनिंग मिलती थी. ‘एस्पायरिंग माइंड्स’ के अनुसार, केवल 26 फीसदी इंजीनियर ही रोजगार योग्य हैं और हमारे स्टूडेंट्स अगले दशक के लिए तैयार नहीं हैं.

लेकिन समय बदल रहा है. विभिन्न भागीदारों के सहयोग से व्यावसायिक प्रशिक्षण और कौशल विकास पर जोर दिया जा रहा है. उदाहरण के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना शुरू कर कौशल विकास का कार्य सुचारू करने की बड़ी पहल की गई है. यही वजह है कि कई व्यावसायिक और कौशल विकास कंपनियों ने खुद पहल कर लोगों को जरूरी स्किल ट्रेनिंग देना शुरू किया है. इस पहल को अधिक सफल बनाने के लिए भारत सरकार ने राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के माध्यम से 2022 तक 40 करोड़ भारतीयों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है.

जरूरत के अनुरूप ट्रेनिंग कस्टमाइज कर रही हैं कंपनियां

स्किलिंग से जुड़ी कंपनियां जरूरत के हिसाब से ट्रेनिंग कस्टमाइज कर रही हैं. कौशल की कमी दूर करने के लिए कौशलपूर्ण और प्रमाणित कार्य बल को विकसित कर रही हैं. कौशल प्रशिक्षण संस्थान सामयिक, रोजगार-योग्य कौशल प्रदान कर रहे हैं. चूंकि आईटीआई (औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान), आईटीसी (औद्योगिक प्रशिक्षण केंद्र) और अन्य सरकारी सहायता प्राप्त संस्थानों का मौजूदा इंफ्रास्ट्रक्चर भावी रोजगार अवसरों के लिए लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं. इसलिए डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के दरवाजे सीखने वाले उम्मीदवारों के लिए खुल रहे हैं और उद्योग जगत को इसका लाभ उच्च कार्य क्षमता वाले टेक सेवी लोगों के रूप में पहले दिन से होगा.

भारत के लाखों लोगों को प्रशिक्षित करने के लिए देश में कहीं अधिक व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्रों की जरूरत होगी. वर्तमान इंफ्रास्ट्रक्चर बढ़ती मांग पूरी करने के लिए पर्याप्त नहीं है. इसलिए न केवल कौशल बढ़ाने बल्कि उद्योग जगत की जरूरतों के मद्देनजर सही डोमेन में स्किलिंग सुनिश्चित करने के लिए सरकार और उद्योग जगत का साथ आना जरूरी है.

उद्योग जगत का डिजिटल बनना जरूरी

प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत प्रशिक्षण देने और प्रबंधन कार्य के लिए बड़ी संख्या में कौशलपूर्ण लोगों की जरूरत होगी. टेक्नोलॉजी, ई-कॉमर्स और दूरसंचार जैसे प्रमुख ड्राइविंग फैक्टर्स सभी उद्योगों को इस तरह प्रभावित कर रहे हैं कि वे अपने उत्पाद और सेवाओं में बड़े बदलाव की रणनीतियों की नई सिरे से परिभाषित करें. डिजिटल टेक्नोलाॅजी के आगमन से उद्योग जगत के लिए डिजिटल होना आवश्यक हो गया है. यह लगभग सभी सेक्टर जैसे टेक्नोलाॅजी, बीएफएसआई, हेल्थकेयर, रिटेल, ट्रांसपोर्टेशन, हॉस्पिटैलिटी, टूरिज्म, ब्यूटी, टेक्सटाइल्स, एविएशन आदि में लागू है और नए कौशल वाली प्रतिभाओं की बड़ी मांग के लिए दरवाजे खोलती है.

भविष्य में कैसे स्किल्स आएंगे काम

कौशल विकास क्षेत्रों में नए डिजिटल कोर्स और नए रोजगार के अवसर खुल रहे हैं. वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ‘फ्यूचर ऑफ जॉब्स रिपोर्ट 2018’ में यह अवधारणा है कि आने वाले समय में सामान्य कौशल मैदान में नहीं टिक पाएंगे बल्कि दो तरह के स्किल सेट सामने आएंगे- पहला अत्यधिक विकसित तकनीकी क्षमताओं से लैस (जैसे मशीन लर्निंग, बिग डाटा, रोबोटिक्स आदि) और दूसरा ‘मानव’ कौशल (सेल्स और मार्केटिंग, प्रशिक्षण और विकास, संगठन विकास आदि). इससे स्पष्ट होता है कि भविष्य में सफल होने के लिए जो कौशल चाहिए उनमें आधे ज्ञान प्रधान हैं जबकि अन्य 50 फीसदी, कार्य क्षेत्र में अन्य लोगों से संपर्क और सहयोग पर केंद्रित हैं.

नए जमाने के कौशल, अर्थव्यवस्था और उद्योग की मांगों के अनुसार हों, इस तथ्य का समावेश स्कूल से लेकर औपचारिक उच्च शिक्षा तक किया गया है. साथ ही, औपचारिक शिक्षा प्रणाली के दायरे से बाहर स्किल क्रिएशन को हर कदम परअधिक ठोस और बेहतर एक्शन की जरूरत है ताकि मौजूदा चुनौतियों को दूर किया जा सके.

Source: Financial Express