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Reskilling: कोविड के बाद की दुनिया में चाहिए अच्छा काम, तो कर्मचारियों के स्किल तराशने पर देना होगा ध्यान

रीस्किलिंग (Reskilling) वही जादुई काम हो सकता है जो प्रतिभा की कमी के साथ-साथ कौशल में आई नई कंपनी की पूर्ति करता है। कौशल के मामले को परिप्रेक्ष्य में रखते हुए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि महामारी से पहले और बाद की दोनों स्थितियों में कौशल में कमी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और प्रतिभा की अच्छी मांग है।

Need of Reskilling: कोविड19 (Coronavirus) आने के बाद कामकाजी दुनिया का माहौल बदल चुका है। अब वर्कप्लेस केवल ऑफिस तक सिमटकर नहीं रह गया है। इसलिए आगे भी यह बात पक्की है कि भविष्य का कार्यस्थल अलग होगा। साथ ही काम करने के तरीकों में बदलाव लाना भी जरूरी होगा। इसके लिए जरूरत होगी, स्किल्स को नए सिरे से तराशने की। कौशल के मामले को परिप्रेक्ष्य में रखते हुए हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि महामारी से पहले और बाद की दोनों स्थितियों में कौशल में कमी एक महत्वपूर्ण मुद्दा है और प्रतिभा की अच्छी मांग है। रीस्किलिंग वही जादुई काम हो सकता है जो प्रतिभा की कमी के साथ-साथ कौशल में आई नई कंपनी की पूर्ति करता है। आइए जानते हैं इस बारे में क्या कहते हैं

वाधवानी फाउंडेशन के वाधवानी ऑपरचुनिटी में एक्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट सुनील दहिया

​इनोवेशन और क्रिएटिविटी का होगा जमाना

हाल के एक वैश्विक सर्वेक्षण के अनुसार, जो नियोक्ता अपने कर्मचारियों के कौशल निखारने और उन्हें जरूरत के कौशल से युक्त करने पर फोकस नहीं करते हैं वे बाद में कौशल की मुश्किलों और कमी का सामना कर सकते हैं। कोविड-19 ने दुनिया को हमेशा के लिए बदल दिया है और भविष्य का कार्यस्थल (future workplace) अलग होगा। इस बारे में कोई शंका नहीं है। इसलिए सोचने, रचनात्मकता और इनोवेशन के नए तरीके सामने आएंगे और नए सिरे से पारिभाषित कार्य संस्कृति में नए नियमों का राज चलेगा। घर से काम करने और दूर से काम करने की सुविधा के बाद कंपनियों ने कर्मचारियों को नए सिरे से कौशल युक्त (reskilling) करना शुरू किया है ताकि नई आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके। स्पष्ट रूप से यह रोजगार के क्षेत्र में बदलती स्थितियों को बदलने के संकेत हैं।

​नया कॉन्सेप्ट नहीं है ​रीस्किलिंग

ऐसा नहीं है कि रीस्किलिंग कोई नया आइडिया है। कोविड महामारी की शुरुआत से पहले ही नई टेक्नोलॉजी और नए उभरते रोजगार के मौके प्रतिभा के क्षेत्र में बाधा बन रहे थे। हालांकि, कोविड-19 के अनूठे समय में कर्मचारियों के कौशल को बेहतर करने या फिर से काम सिखाने की आवश्यकता कई गुना बढ़ गई है। जो नियोक्ता अपने कर्मचारियों के कौशल को बेहतर करने या नए सिरे से कौशल युक्त करने पर ध्यान नहीं देते हैं उन्हें कामगारों के बेकार हो जाने या कहीं और चले जाने जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। हाल के एक वैश्विक सर्वेक्षण से इसका पता चला है। इसमें प्रशिक्षण देने और नियुक्ति करने वाले 282 प्रबंधक, सी स्तर के कार्यकारी, निर्णय लेने वाले और 400 पूर्णकालिक कर्मचारियों ने हिस्सा लिया। यह सर्वेक्षण टैलेन्ट एलएमएस, ट्रेनिंग जर्नल और वर्केबल ने किया।

​क्या रहे सर्वे के नतीजे

सर्वेक्षण के नतीजों के अनुसार कोरोना वायरस की शुरुआत के बाद 42 प्रतिशत कंपनियों ने अपस्किलिंग/रीस्किलिंग प्रशिक्षण के अपने प्रयास बढ़ा दिए। 91% ने इस बात की पुष्टि की कि अपस्किलिंग/रीस्किलिंग प्रशिक्षण से कार्यस्थल पर उत्पादकता बढ़ गई है। जीवन जब धीरे-धीरे सामान्य होने की ओर बढ़ेगा तो भिन्न कार्य कई तरह के कार्य कर सकने की सुविज्ञता और उच्च स्तर की सक्षमता से पारिभाषित किए जाएंगे। इससे न सिर्फ कर्मचारी का बने रहना निर्धारित होगा बल्कि सांगठनिक व्यवस्था में उनका नया अवतार भी। जो भूमिकाएं पहले मौजूद रही हों वे संभव हैं कि अब किसी काम की न हों या अच्छी न हों। इसलिए, मौजूदा कर्मचारियों के लिए स्वाभाविक है कि वे नए कौशल (new skills) से युक्त हों ताकि अपनी प्रासंगिकता बनाए रख सकें।

​जारी रहने वाले हैं रिमोट ऑपरेशंस

महामारी के प्रमुख नुकसान में एक है, दूरस्थ अर्थव्यवस्था (the Distance Economy) पर विश्वसनीयता बढ़ना। अब यह तकरीबन निश्चित है कि ज्यादातर कॉरपोरेशन रिमोट ऑपरेशंस जारी रखेंगे। कम से कम निकट भविष्य में और लंबी अवधि में हाइब्रिड कार्य संस्कृति भी अपना सकते हैं। इसका परिणाम यह होगा कि डिजिटाइजेशन तेजी से होगा और स्व प्रबंध में नए कौशल उभरेंगे। जैसे सक्रियता से सीखना (ऐक्टिव लर्निंग), लोचदार, तनाव झेलना और लचीलापन होना जैसा वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम (World Economic Forum) ने फ्यूचर ऑफ जॉब रिपोर्ट्स 2020 (Future of Jobs Report 2020) में कहा है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि आलोचनात्मक सोच (Critical Thinking) और समस्याएं निपटाना निकट भविष्य नियोक्ताओं की राय में सबसे महत्वपूर्ण वाले कौशलों में सबसे ऊपर हैं।

​ज्यादातर कंपनियां तनाव में

इस समय सारी दुनिया अब तक की सबसे खराब मंदी के बीच में है और ज्यादातर कंपनियां तनाव में हैं क्योंकि गुजरे कुछ महीनों के दौरान कारोबार के लिहाज से समय बहुत ढीला ढाला रहा है। कार्यबल में कटाई-छंटाई विकट वास्तविकता होगी और नियोक्ता उम्मीद करेंगे कि बाकी बचे कामगार नए कौशल हासिल करके उत्पादकता बढ़ाएं। बेशक यह पुनर्गठित कारोबारी मॉडल के लिए होगा और संभवत इसमें कम कामगारों से पहले की तरह काम करना भी सिखाया जाए। बेशक इसमें उभरती टेक्नोलॉजी को अपनाना भी होगा, मुमकिन है और इसी से परिचालन बढ़ाना सिखाया जाए। खेल में आग रहने के लिए रीस्किलिंग बेहद आवश्यक होगी। कर्मचारियों और नियोक्ताओं, दोनों के लिए।

​क्यों किफायती है रीस्किलिंग

एक नियोक्ता की तरफ से देखें तो रीस्किलिंग किफायती है, नियुक्ति प्रक्रिया में खर्च होने वाले संसाधनों की बचत होती है और संस्थानों को प्रतिस्पर्धा में अग्रणी स्थिति में रखता है। दीर्घ अवधि में रीस्किलिंग से नियोक्ताओं के लिए प्रतिभाओं को प्रेरित करने और साथ बनाए रखने में सहायता मिलेगी, सर्वश्रेष्ठ उम्मीदवारों को आकर्षित किया जा सकेगा और नवीनता को बढ़ावा देना संभव होगा। दूसरी ओर हरेक स्तर के और उद्योग के कर्मचारी पेशेवर विकास और कैरियर में प्रगति पा सकेंगे। इससे पेशेवरों को अपने उद्यमिता कौशलों को निखारने और आत्मनिर्भरता की यात्रा पर निकलने का मौका भी मिल सकता है। अपस्किलिंग (कौशल बेहतर करने) का मुख्य मकसद व्यक्तियों को उभरती टेक्नोलॉजी के चालू ज्ञान कौशलों से युक्त करना है ताकि वे नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार रहें और उनमें आवश्यक लचीलापन आ जाए। इस तरह, वे महामारी के बाद की बेहद प्रतिस्पर्धी दुनिया में नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार होंगे।

Source: Navbharat Times